*उदारस्य तृणं वित्तं*
*शूरस्य मरणं तृणम्।*
*विरक्तस्य तृणं भार्या*
*निस्पृहस्य तृणं जगत्॥*
अर्थात - उदार मनुष्य के लिए धन तृण के समान होता है, शूरवीर के लिए मृत्यु तृण के समान होता है, विरक्त के लिए भार्या तृण के समान होती है और निस्पृह (कामनाओं से रहित) मनुष्य के लिए यह जगत् तृण के समान होता है।
*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*
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