Sanskrit shlok Arth

Wednesday, June 16, 2021

दुःखाभ्रराशेरनिशं ह्यवावास्यं वीक्ष्य मे तल्लपने विजावा श्लोक का अर्थ


 

दुःखाभ्रराशेरनिशं ह्यवावास्यं वीक्ष्य मे तल्लपने विजावा। 

कोपप्रशान् कामदुघस्सुहासः शंस्थाः प्रतान्मे नितरां प्रियायाः।। 


    मेरी प्रिया का सुहास नित्य दुःखस्य के बादलो को हटाने वाला, सदा मेरा मुख देखकर उस के मुख पर विशेष रूप से उत्पन्न होने वाला, मेरे क्रोध का शमन करनेवाला, अभीष्ट चीज देनेवाला, मुझे सुख पूर्वक रखनेवाला, और उसे बढानेवाला हैं। 


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