विदुरनीतिः
एक: पापानि कुरुते फलं भुङ्क्ते महाजनः ।
भोक्तारो विप्रमुच्यन्ते कर्ता दोषेण लिप्यते ॥
भावार्थ :- व्यक्ति अकेला पाप-कर्म करता है, लेकिन उसके तात्कालिक सुख-लाभ बहुत से लोग उपभोग करते हैं और आनंदित होते हैं। बाद में सुख-भोगी तो पाप-मुक्त हो जाते हैं, लेकिन पाप-कर्ता पाप-कर्मों की सजा पाता है, अतः हमें सत्कर्म करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment