Sanskrit shlok Arth

Wednesday, October 6, 2021

नवरात्रों की शुभकामनाएं status

 


सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।

 गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोह्यस्तु ते।।

अर्थातः तुम सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति भूता, सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। नारायणि! तुम्हें नमस्कार है।



                           श्लोक

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।

देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार , संयम की वृद्धि होती है। जीवन की कठिन समय मे भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है। देवी अपने साधकों की मलिनता, दुर्गणों व दोषों को खत्म करती है। देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि तथा विजय की प्राप्ति होती है।

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् । 

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।। 

भावार्थ:- देवी, मुझे सौभाग्य और स्वास्थ्य दो। परम सुख दें, आकार दें, जीतें, प्रसिद्धि दें और काम, क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करें।

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संस्कृत श्लोक

धनतेरस की शुभकामनाएं

  ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:। अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।। आप सभी को धनतेरस पर्व की हार्दिक शुभकामना...