"जन्माष्टमी महोत्सव पर्व की आप सभी को हार्दिक मंगलकामनाएं"
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं.
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ..
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं .
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ..
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ .
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ..
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं..
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ..
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं स्मरणं मधुरं.
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं..
गुंजा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा.
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं...
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं.
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं...
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा.
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ..
ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्दविग्रहः।
अनादिरादिर्गोविन्दः सर्वेकारणकारणम् ॥
अर्थ :-
भगवान् तो कृष्ण हैं, जो सच्चिदानन्द स्वरुप हैं। उनका कोई आदि नहीं है, क्योंकि वे प्रत्येक वस्तु के आदि हैं। भगवान गोविंद समस्त कारणों के कारण हैं।
वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः ।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥
कृष्णाष्टकम्, श्लोक ८
श्री राधारानी वृन्दावन की स्वामिनी है और भगवान श्रीकृष्ण वृन्दावन के स्वामी है, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा कृष्ण के आश्रम में व्यतीत हो ।
Sri Radha is the Goddess of Vrindavan and Sri Krishna is the God of Vrindavani.So every moment of my life should be spent in the shelter of Sri Radha-Krishna.
कस्तूरी तिलकं ललाट पटले, वक्षस्थले कौस्तुभं।
नासाग्रे वरमौक्त्तिकं करतले, वेणुर् करे कङणम्।
सर्वाङे हरि चन्दनं सुललितं, कण्ठे च मुक्तावली।
गोपस्त्रीपरिवेष्ठितो विजयते, गोपाल चूड़ामणिम्।
भावार्थ:- हे श्रीकृष्ण! आपके मस्तक पर कस्तूरी तिलक सुशोभित है। आपके वक्ष पर देदीप्यमान कौस्तुभ मणि विराजित है, आपने नाक में सुंदर मोती पहना हुआ है, आपके हाथ में बाँसुरी है और कलाई में आपने कंगन धारण किया हुआ है। आपकी सम्पूर्ण देह पर सुगन्धित चंदन लगा हुआ है और सुंदर कंठ मुक्ताहार से विभूषित है, आप सेवारत गोपियों के मुक्ति प्रदाता हैं, हे गोपाल! आप सर्व सौंदर्य से परिपूर्ण हैं, आपकी जय हो ।
साधू अति साधु
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteजय श्री कृष्ण
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