*शीलं प्रधानं पुरुषे तद् यस्येह प्रणश्यति।*
*न तस्य जीवितेनार्थो न धनेन न बन्धुभिः॥*
अर्थात - शील ही मनुष्य का प्रमुख गुण है। जिस व्यक्ति का शील नष्ट हो जाता है - धन, जीवन और सगे-सम्बन्धी उसके किसी काम के नहीं रहते; अर्थात उसका जीवन व्यर्थ हो जाता है।
*मङ्गलं सुप्रभातम्*
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