Sanskrit shlok Arth

Thursday, June 3, 2021

संस्कृत सुभाषितानि


ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षं शान्ति:
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:
सर्वं शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥

#विश्व पर्यावरण दिवस  


 अद्यतनसुभाषितम्


*मृतं शरीरमुत्सृज्य* 

          *काष्ठलोष्ठसमं क्षितौ ।*

*विमुखा बान्धवा यान्ति* 

          *धर्मस्तमनु गच्छति ।।* 

अर्थ - मरने के पश्चात् अपने बन्धु - बान्धव मृतक शरीर को लकड़ी व मिट्टी के समान त्याज्य मानकर पृथ्वी में या अग्नि में छोड़कर उससे विमुख चले आते हैं , किन्तु धर्म अर्थात् सुकर्म उस मरे हुए व्यक्ति के साथ जन्मांतर तक रहता है ।





*ऐक्यं बलं समाजस्य*

*तदभावे स दुर्बलः।*

*तस्मात् ऐक्यं प्रशंसन्ति*

*दृढं राष्ट्रहितैषिणः।।*


अर्थात - एकता ही किसी समाज का बल (शक्ति) होता है एकता के अभाव में समाज मे दुर्बलता आती है। इसी कारण जो लोग एक महान और दृढ (शक्तिसंपन्न) राष्ट्र की कामना करते हैं और हितैषी होते हैं वे समाज में एकता की प्रशंसा (और प्रसार) करते हैं।


*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*



🕉️🙏 *प्रातः वन्दन* 🙏🕉️


पातितोऽपि कराघातै-रुत्पतत्येव कन्दुकः। 

प्रायेण साधुवृत्तानाम-स्थायिन्यो विपत्तयः॥


भावार्थ :


हाथ से पटकी हुई गेंद भी भूमि पर गिरने के बाद ऊपर की ओर उठती है, सज्जनों का बुरा समय अधिकतर थोड़े समय के लिए ही होता है।


🌹🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🌹


*धनहीनो न हीनश्च, धनिक स सुनिश्चयः।*

*विद्यारत्नेन हीनो यः, स हीनः सर्ववस्तुषु।।*


अर्थात - धनहीन व्यक्ति यदि विद्यारूपी धन से युक्त है तो वह दीन-हीन नही होता अपितु वह निश्चय ही धनवान होता है, किन्तु विद्यारूपी रत्न से जो वंचित है वह निश्चित ही सभी प्रकार से दीन-हीन होता है।


*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*


*वनानि दहतो वह्नेः सखाभवति मारुतः।*

*स एव दीपनाशाय कृशे कस्यास्ति सौहृदम्॥*


अर्थात - हवा सम्पूर्ण जंगल को जलाने वाली आग की सहायता करती है, लेकिन वही हवा दीपक को बुझा देती है। दुर्बल हो जाने पर कोई किसी का मित्र नहीं होता है।


*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

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संस्कृत श्लोक

धनतेरस की शुभकामनाएं

  ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:। अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।। आप सभी को धनतेरस पर्व की हार्दिक शुभकामना...